Anju Dixit

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आम आदमी



आदमी हैं हम बहुत आम से,
मतलब रखते अपने काम से।

दो जून की रोटी ही जीवन का मकसद,
 नही लेना किसी शोहरत नाम से।

यह तो बड़े लोगों की, राजनीति है साहब,
हमें कोई फर्क नही पड़ता अल्लहा या राम से।


मुफलिसी में कट गई जिन्दगी कितनो की,
   कब किसी गरीब की सासें चली ताम झाम से।

 अपने तो चारो पहर हैं जिन्दगी की जद्दोजहद में,
कोई फर्क नही दिखता उजली सुबह मचलती शाम से।


फर्क ही नही रहता जिन्दगी मौत का अंजुम,
गुजर जाती है जिंदगी कभी कभी उस मकाम से।

 किसी तख्ते ताज की ख्वाहिश नही रखते,
बस दो बातें कर लो पास बैठकर एहतराम से।

अपनी रूखी सूखी में सुखी है हम तो खुद्दारी के साथ
नही भागते किसी के पीछे गुलाम से।




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4 Comments

Dr. Arpita Agrawal

15-Feb-2022 10:36 PM

बहुत सुन्दर 👏👏

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Zakirhusain Abbas Chougule

15-Feb-2022 09:13 PM

Very nice

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Simran Bhagat

15-Feb-2022 04:58 PM

Great👍👍

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